राजधानी के त्रिलंगा स्थित ‘गणपति-शोभा’ भवन को जिसने भी एक बार ठीक ढंग से देखा है, उसके मन के कल्पनालोक में कई दिनों तक भगवान गणेश की किस्म-किस्म की आकृतियां ही सामने आती रहती हैं। कला और आस्था के संगम इस भवन के मालिक हैं अशोक महाजन, जो पिछले 25 साल से गणेश प्रतिमाओं का संकलन करते आ रहे हैं।
अशोक महाजन का गणपति प्रेम अलग है। वह 25 साल से देशभर से गणपति की मूर्तियां कलेक्ट कर रहे हैं।
अशोक के संकलन में सोने, चांदी, पीतल, तांबा, लोहा से अष्टधातु मिश्रित गणेश प्रतिमाएं हैं, तो किस्म-किस्म की मिट्टी, काष्ट और कांच, झाड़ू, बांस, मूंगा, सुपारी और धागे से बनी प्रतिमाएं भी शामिल हैं। महाराष्ट्र के अष्ट विनायक दुनियाभर में विख्यात हैं, लेकिन ये दो प्रकार के होते हैं, विदर्भ और मराठवाड़ा दोनों के अष्ट विनायक अशोक के संकलन में हैं। देशभर में विख्यात गणेश मंदिरों की प्रतिमाओं की प्रतिकृति भी उनके पास हैं। इसके अलावा उनके पास राजरवि वर्मा द्वारा बनाई गई भगवान गणेश की रिद्दी और सिद्दी सहित पेंटिंग और गोकर्ण महागणपति की दुर्लभ पेटिंग भी है।
भगवान गणेश की उनके कलेक्शन में देशभर से लाई गई अद्भुत मूर्तियां हैं।
अशोक कहते हैं कि घर में ही रोजाना देशभर के सभी गणेश मंदिरों की प्रतिमाओं के दर्शन से उन्हें अच्छा महसूस होता है। मन को शांति और सुकून मिलता है। जब तक मैं जीवित हूं, तब तक यह गणपति मेरे साथ रहेंगे। इसके बाद मैं इन्हें अपने बेटे को सौंप दूंगा या पूणे के सारस बाग संग्रहालय को दान कर दूंगा।