गुना में 5 हजार के लिए 3 साल से बंधुआ बने आदिवासी को जिंदा जलाया

Posted By: Himmat Jaithwar
11/8/2020

गुना। गुना के बमोरी ब्लॉक के उकावद खुर्द गांव में शुक्रवार देर रात 26 वर्षीय आदिवासी विजय सहरिया को गांव के दबंग ने जिंदा जला दिया। बताया जाता है कि करीब 3 साल पहले आरोपी राधेश्याम ने विजय को 5 हजार रुपए उधार दिए थे। बदले में दबंग ने उसे अपने घर बंधुआ मजदूर बना रखा था। विजय ने शुक्रवार काे काम करने से मना कर दिया। कहा- कहीं और काम करके आपके पैसे चुका दूंगा। इस पर विवाद हुआ और दबंग ने विजय को उसके घर से करीब 30 मीटर दूर ले जाकर केरोसिन डालकर जिंदा जला दिया।

घटना के बाद राधेश्याम भाग गया, जबकि लपटों में घिरा विजय बदहवास इधर-उधर भागता रहा। थोड़ी देर बाद वह सड़क पर गिर गया। आनन-फानन में परिजन विजय को बमोरी स्वास्थ्य केंद्र ले गए, जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। आखिर देर रात एक बजे विजय ने दम तोड़ दिया। एसपी राजेश कुमार सिंह ने बताया कि आरोपी को रात में ही गिरफ्तार कर लिया है। मृतक के परिवार को 20 हजार रुपए की मदद दी गई है। हम जल्द मामला कोर्ट में ले जाएंगे।

मृतक विजय
मृतक विजय

विवाद न बढ़े इसलिए प्रशासन ने अंधेरे में ही करा दिया पोस्टमार्टम
मामले पर बवाल न बढ़े, इसलिए पुलिस व प्रशासन ने पहले विजय के शव को बमोरी भेजा, जहां सुबह 6 बजे अंधेरे में ही उसका पोस्टमार्टम करा दिया और शव को गांव भेज दिया। आरोप है कि पुलिस ने परिजनों पर मृतक का अंतिम संस्कार जल्द करने का भी दबाव डाला। हालांकि इस दौरान मामला तूल पकड़ चुका था और कई सामाजिक कार्यकर्ता एवं सहरिया समुदाय के लोग एकत्रित हो गए। आखिरकार दोपहर करीब सवा दो बजे मृतक का अंतिम संस्कार हुआ।

वीडियो वायरल : अंतिम समय में आरोपी का नाम लिया
गंभीर रूप से झुलसे विजय का एक वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें वह आरोपी राधेश्याम का नाम ले रहा है। वह यह भी जिक्र कर रहा है कि पैसे को लेकर आरोपी ने उसे जलाया है।

प्रशासन पता नहीं लगा रहा कितने परिवार फंसे हैं बंधुआ मजदूरी के जाल में
बीते कम से कम 5 साल से बंधुआ समस्या के लिए काम कर रहे संगठन यह मांग उठा रहे हैं कि प्रशासन सर्वे करके यह पता लगाए कि आखिर कितने लोग बंधुआ मजदूरी के जाल में फंसे हुए हैं। बीते डेढ़ माह में ही बंधुआ मजदूरी में फंसे दो लोग जान गंवा चुके हैं। उकावद खुर्द की घटना से पहले 20 सितंबर 2020 को बंधुआ मजदूरी कर रहे परिवार के 8 साल के बच्चे की मौत हो गई थी। सितंबर में ही प्रशासन ने एक सहरिया दंपती को बंधुआ मुक्ति का सर्टिफिकेट दिया था, जो 20 हजार का उधार चुकाने के लिए 15 माह से एक दबंग के यहां काम कर रहे थे।

450 सहरिया मजदूरों का मामला हाईकोर्ट में
सहरिया आदिवासियों को गुना नहीं बल्कि राजस्थान और कई पड़ोसी जिलों में काम पर ले जाया जाता है। एडवांस के बदले उन्हें बंधुआ बनाकर काम कराया जा रहा है। ऐसे 450 मजदूरों का मामला हाईकोर्ट में बीते 5 साल से लंबित है। बंधुआ मुक्ति मोर्चा ने इन लोगों काे राजस्थान के अलावा बमोरी के अलग-अलग जगहों से मुक्त कराया था। प्रशासन ने इन लोगों को बंधुआ मानने से इंकार से पूरी तरह से कर दिया था।

एफआईआर व परिजन के बयान में आई गड़बड़ी
इस मामले पुलिस की एफआईआर और परिजनों के बयान में फर्क सामने आ रहा है। एफआईआर के मुताबिक घटना के वक्त विजय व उसके पिता साथ-साथ थे। वहीं मृतक के पिता से जब भास्कर ने बात की तो उन्होंने बताया कि हमें आरोपी के बड़े भाई की बेटी ने आकर इसकी जानकारी दी। इस मामले में पुलिस एक ही आरोपी के शामिल होने की बात कर रही है। जबकि हालात देखकर लग रहा है कि इसमें एक से ज्यादा लोग हो सकते हैं।

एक्सपर्ट

किसी से भी अगर काम कराया जाता है तो उसे न्यूनतम मजदूरी का भुगतान करना होगा। यह भुगतान नकद रूप में होना चाहिए। एडवांस पैसे की वसूली किसी के श्रम को बंधक बनाकर की जा रही है तो उसे बंधुआ मजदूरी ही कही जाएगी।-निर्मल गोराना, एडवोकेट ।



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