मंत्री ठाकुर बोलीं- वर्ग विशेष के लोग जिस मोहल्ले में रहते हैं, वहां का नाम ही बदल लेते हैं, किसी से पूछना जरूरी नहीं समझते

Posted By: Himmat Jaithwar
12/15/2020

इंदौर। मध्यप्रदेश में 'नाम परिवर्तन की पॉलिटिक्स' में सांसद शंकर लालवानी के बाद अब पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर भी कूद पड़ी हैं। उन्होंने शहरों के नाम बदलने की उठ रही मांग को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। ठाकुर का कहना है कि यहां तो लोग प्रमाण और तथ्यों के आधार पर नाम बदलने की मांग कर रहे हैं। वर्ग विशेष के लोग तो जिस मोहल्ले में रहते हैं, वहां का नाम खुद ही बदल लेते हैं, वे किसी से इसके बारे में पूछना भी जरूरी नहीं समझते।

ठाकुर ने शहरों और इलाकों के नाम बदलने को लेकर कहा कि यह पुनर्जागरण है। तथ्य, प्रमाण और संविधान के आधार पर कोई परिवर्तन होते हैं तो वे होने ही चाहिए। आजाद भारत की स्थितियां आजाद भारत जैसी दिखाई देनी ही चाहिए। हम भोपाल की बात करें या अन्य जिन क्षेत्रों में नाम बदलने की मांग उठ रही है, वो एक मनगढंत खड़ी की हुई बात नहीं है। तथ्य और प्रमाण के आधार पर खड़ी की गई बात है। यह लोकतंत्र है, जो सत्य है, उसे स्वीकार करना चाहिए। प्रमाण जिसके पक्ष में आएंगे, उसके नाम परिवर्तित होंगे।

इंदौर में जाकर शास्त्री कॉलोनी के बारे में पता करिए

सांसद द्वारा खजराना के नाम को बदलने का कहने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यदि वहां कोई पुरातात्विक प्रमाण मिलेंगे तो उनको बदला जाए। मुझे आश्चर्य है, मैं यह कहना चाहूंगी कि यहां तो मांग उठ रही है। कई मोहल्ले, जिनके बिना पूछे नाम बदल दिए गए। इंदौर में जाकर खोज लीजिए शास्त्री कॉलोनी कहां पर है और उसका नाम क्या है। वर्ग विशेष ना तो इस प्रकार की चिंता करता है, वे तो जिस मोहल्ले में रहने लगे, खुद ही नाम बदल लिया बोर्ड लगा दिया। ना जिला योजना में प्रस्ताव लाए ना प्रशासन से ना ही प्रदेश से मांग की।

मालवा और मप्र का किसान समझदार

मंत्री ठाकुर ने कहा कि मप्र और मालवा के किसान बहुत समझदार हैं। इन्होंने तीनों विधेयकों को बहुत अच्छे से समझा है, इसलिए मप्र में कोई ऐसी स्थिति बनने की नौबत नहीं है। यह किसान हित में है। देशभर में कहीं नहीं, बस पंजाब और हरियाणा में ही यह दिखाई दे रहा है। उच्च कोटि के जो दलाल हैं, जिनकी अरबों-खरबों की आमदनी इस व्यवस्था के कारण थी। वे ही सुनियोजित तरीके से षड़यंत्र कर आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं। ज्यादा दिन तक सच्चाई इस देश में छिप नहीं सकती। हमने विकटतम आंदोलनों को भी ठंडा होते हुए देखा है, यह झूठ का षड़यंत्र भी ज्यादा दिन नहीं चलेगा। यह जाे टुकड़े-टुकड़े गैंग है, यह हर जगह जाकर उन परिस्थितियों का फायदा उठाने की कोशिश करती है। यह किसान आंदोलन में भी घुस गई है। जो शाहीन बाग मामले में अंदर हुए, उन्हें छुड़ाने की मांग का इस आंदोलन से क्या संबंध है।



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