‘भाजपा पिछले दरवाजे से सत्ता हासिल करना चाहती है’ - ज्योतिरादित्य सिंधिया

Posted By: Himmat Jaithwar
3/11/2020

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले ही सिंधिया ने दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों को लेकर भाजपा सरकार पर नफरत की राजनीति करने का आरोप लगाया था।

नई दिल्ली। करीब आठ माह पहले जब कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन वाली सरकार सियासी संकट से गुजर रही थी, तब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा पर लोकतंत्र की हत्या की मंशा रखने का आरोप लगाया था। सिंधिया ने कहा था कि “भाजपा की मंशा लोकतंत्र की हत्या है और जब वह चुनाव में सीधे तौर पर जीत हासिल नहीं कर पाते तो वह पिछले दरवाजे से सत्ता पाने की कोशिश करते हैं।”
हालांकि अब खुद सिंधिया पर मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार गिराने के आरोप लग रहे हैं। सिंधिया ने मंगलवार को कांग्रेस छोड़ दी। इसके साथ ही कांग्रेस के 22 विधायकों ने भी विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। जिसके चलते कमलनाथ सरकार के सत्ता से बाहर होने की आशंका पैदा हो गई है।

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले ही सिंधिया ने दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों को लेकर भाजपा सरकार पर नफरत की राजनीति करने का आरोप लगाया था। साल 2016 में कांग्रेस के व्हिप चीफ के तौर पर सिंधिया ने लोकसभा में सोनिया गांधी को ‘शेरनी’ बताया था।

सिंधिया ने अगुस्टा वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाल में सोनिया गांधी का बचाव करते हुए कहा था कि ‘जब भी सोनिया गांधी का नाम आता है तो वो (भाजपा) डर जाते हैं और उन्हें डरना भी चाहिए। वह एक शेरनी हैं और उनको निशाना बनाने का आपको पछतावा होगा।’

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के पूर्ण बहुमत से सत्ता में वापसी करने के बाद भी सिंधिया ने भाजपा सरकार पर हमले जारी रखे थे। सिंधिया ने अर्थव्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरा था। कर्नाटक में सियासी घमासान के दौरान सिंधिया ने काफी मुखर होकर भाजपा की आलोचना की थी।

उन्होंन कहा था कि “भाजपा की एक ही इच्छा है कि कैसे लोकतंत्र की हत्या की जाए। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, गोवा में ऐसा किया और अब वह कर्नाटक में भी ऐसा करने वाले हैं।”

हाल ही में दिल्ली हिंसा को लेकर सिंधिया ने ट्वीट करते हुए भाजपा पर निशाना साधा था। उन्होंने लिखा कि ‘दिल्ली की मौजूदा स्थिति केन्द्र और राज्य सरकार अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में बुरी तरह असफल रही हैं। इतनी देरी से एक्शन क्यों लिया गया। उन्होंने कहा था कि भाजपा नेताओं को नफरत की राजनीति करना बंद करना चाहिए।’

पुलवामा हमले की पहली बरसी पर भी सिंधिया ने कहा था कि ‘एक साल गुजरने के बाद भी क्या इसकी गंभीरता से जांच हुई है? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? सरकार को इसका जवाब देने की जरूरत है। कम से कम हम अपने शहीदों के बलिदान को यूं ही जाया नहीं कर सकते।’



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