दिग्विजय का बॉयकाट कर रही प्रदेश कांग्रेस?....

Posted By: Himmat Jaithwar
4/12/2021

भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद भी पार्टी के अंदर अंतर्कलह थमी नहीं है। हालात यह है कि प्रदेश कांग्रेस कार्यालय द्वारा दिग्विजय सिंह जैसे वरिष्ठ नेता तक का बॉयकाट किया जाने लगा है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के दौरों, कार्यक्रमों की खबरें प्रदेश कांग्रेस का मीडिया विभाग जारी करता है। कमलनाथ के अलावा अजय सिंह, सज्जन सिंह वर्मा, जीतू पटवारी, भूपेंद्र गुप्ता सहित पार्टी के लगभग हर नेता की खबर पार्टी के मीडिया विभाग द्वारा जारी की जाती है। सिर्फ एक नाम ऐसा है, जिसकी कोई खबर पार्टी का मीडिया विभाग जारी नहीं करता। ये हैं दस साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे राज्यसभा सांसद व पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह। दिग्विजय सिंह दो दिन से दमोह के दौरे पर थे। विधानसभा उप चुनाव के प्रचार अभियान में हिस्सा ले रहे थे, लेकिन पीसीसी की ओर से उनकी एक भी खबर जारी नहीं की गई। दिग्विजय ने मीडिया को खबरें भेजने की व्यवस्था अपने स्तर पर कर रखी  है। ऐसी व्यवस्था अजय सिंह, सज्जन सिंह वर्मा सहित तमाम नेताओं के पास भी है फिर भी सभी की खबरें प्रदेश कांग्रेस द्वारा भी जारी होती हैं। सिर्फ दिग्विजय के साथ ऐसा क्यों होता है, यह सवाल पहेली बना हुआ है। ऐसा कमलनाथ के निर्देश पर हो रहा है या इसमें किसी और की भूमिका है, इसका खुलासा होना बाकी है।

क्या नहीं टल सकता दमोह सीट का उप चुनाव?....
- लगभग एक साल पहले कांग्रेस सरकार गिरने के बाद जब भाजपा सत्ता में आई थी, तब भी कोरोना महामारी के रूप में सामने था। कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे से सरकार बदली थी, इस कारण दो दर्जन से ज्यादा विधानसभा सीटों के लिए उप चुनाव होना थे। ये उप चुनाव सरकार रहेगी या नहीं, इसका फैसला करने वाले थे, तब कोरोना विभीषिका के कारण चुनाव आयोग ने उप चुनाव टाल दिए थे। अब जब दमोह विधानसभा सीट उप चुनाव के नतीजे से सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ना, तब कोरोना महामारी के इस भीषण दौर में उप चुनाव नहीं टाला जा रहा। पूरे प्रदेश में लॉकडाउन है लेकिन दमोह में रैलियों, सभाओं के साथ प्रचार अभियान जारी हैं। खास बात यह कि दमोह में भी कोरोना के केश बढ़ रहे हैं, मौतें भी हो रही हैं। इसकी परवाह न सरकार को है, न चुनाव आयोग को। कांग्रेस जरूर उप चुनाव टालने की मांग करने लगी है। इसे लेकर प्रदेश सरकार और चुनाव आयोग लोगों के निशाने पर हैं। हर चौक-चौराहे में आलोचना हो रही है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या दमोह का उप चुनाव टाला नहीं जा सकता? क्या यह लोगों के जीवन से ज्यादा जरूरी है?  कोरोना का संक्रमण बढ़ने और मौतों का सिलसिला अनवरत जारी है, लेकिन उठ रहे सवालों पर गौर करने न आयोग तैयार है, न सरकार।

अब भी मंत्रियों को जिलों का प्रभार नहीं....
- भाजपा की सरकार बने एक साल से ज्यादा का समय गुजर गया लेकिन अब तक मंत्रिमंडल सदस्यों को जिलों के प्रभार नहीं बांटे जा सके। फिलहाल, मंत्रियों को जिलों का प्रभार मिलना दो वजह से ज्यादा जरूरी है। पहला, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों को कोरोना को लेकर जिलों में व्यवस्थाएं देखने की जवाबदारी सौंपी है। जो मंत्री जिस जिले में है, उसे वहां कोरोना संकट से निबटने में प्रशासन और लोगों की मदद करना है। एक साल से जिलों के प्रभार नहीं बंटे, कोई बात नहीं लेकिन कोरोना संकट के इस दौर में मंत्रियों को जिलों के प्रभार दे दिए जाना चाहिए थे। प्रभारी के नाते मंत्री ज्यादा अच्छी तरह से व्यवस्थाएं देख सकते थे। दूसरा, सरकार ने तबादलों से प्रतिबंध हटाने की समय सीमा घोषित कर रखी है। तबादला नीति में जिलों के प्रभारी मंत्रियों की खास भूमिका बताई गई है। सवाल है कि जब मंत्रियों को जिलों के प्रभार ही नहीं मिले तो वे अपने दायित्व का निर्वाह कैसे करेंगे। हालांकि प्रारंभ से खबर है कि जिलों के प्रभार को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ सहमति नहीं बन पा रही है। सिंधिया अपने हिसाब से समर्थकों के लिए जिले चाहते हैं जबकि मुख्यमंत्री इस मसले पर फ्री हैंड चाहते हैं। इस लड़ाई का खामियाजा मंत्रियों व लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

लक्ष्मण ने निकाली कमलनाथ के दावे की हवा....
- कोरोना महामारी के दौर में सरकार और विपक्ष तो आमने-सामने हैं ही, कांग्रेस की अंदरूनी कलह के भी कम चर्चे नहीं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कोरोना के मुकाबले के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करने की दिशा में प्रयासरत हैं, लोगों को जागरूक करने के लिए कई तरह के जतन कर रहे हैं, दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ लगातार सरकार पर हमलावर हैं। उनका आरोप है कि मुख्यमंत्री काम कम, नौटंकी ज्यादा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य आग्रह को भी उन्होंने नौटंकी कहा था लेकिन वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के अनुज विधायक लक्ष्मण सिंह ने ही कमलनाथ के दावे की हवा निकाल दी। वे अचानक स्वास्थ्य आग्रह पर 24 घंटे के लिए बैठे मुख्यमंत्री चौहान के मंच पर पहुुंच गए। मुख्यमंत्री से मिलने के बाद लक्ष्मण ने कहा कि वे क्षेत्रीय समस्याओं पर बात करने आए थे, लेकिन यह भी बोल गए कि मुख्यमंत्री जो स्वास्थ्य आग्रह कर रहे हैं, ऐसे जागरूकता अभियान चलना चाहिए इसमें कोई बुराई नहीं। पहले लक्ष्मण का मुख्यमंत्री के मंच पर पहुंचना, फिर कमलनाथ के बयान से उलट बोलना, साफ है कि कमलनाथ के नेतृत्व पर सवाल उठने का सिलसिला जारी है। इस घटना को कमलनाथ की दिग्विजय के साथ बढ़ती दूरी के तौर पर भी देखा जा रहा है।

क्या मुख्य धारा में वापसी कर पाएंगे चौधरी....
- प्रदेश के एक कद्दावर नेता चौधरी राकेश सिंह को कमलनाथ ने दमोह उप चुनाव के लिए जारी स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल कर सभी को चौंका दिया था। वजह यह थी कि चौधरी ने जिस तरह कांग्रेस छोड़ी थी उससे पार्टी का एक बड़ा धड़ा नाराज था। इस धड़े के नेता चौधरी की कांग्रेस में वापसी का हर स्तर पर विरोध कर रहे थे। अचानक एक चुनावी सभा में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन्हें कांग्रे्रस में शामिल करने की घोषणा कर दी थी। इसके बाद सिंधिया पार्टी छोड़ गए। इधर चौधरी 28 सीटों के उप चुनाव में विधानसभा का टिकट चाहते थे। इस धड़े के विरोध के चलते कमलनाथ उन्हें टिकट नहीं दे सके, लेकिन अचानक उन्होंने चौधरी को दमोह के उप चुनाव में स्टार प्रचारक बना दिया। बता दें, दमोह बुंदेलखंड में है और चौधरी का दबदबा चंबल-ग्वालियर अंचल में है। कमलनाथ ने विरोध करने वाले धड़े की परवाह नहीं की। खास बात यह है कि चौधरी दमोह में खुद को साबित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। उनका ब्राह्मण मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित है। वे पांच दिन का एक प्रवास करने के बाद रविवार को फिर दमोह पहुंच गए हैं। कमलनाथ ने चौधरी को स्टार प्रचारक बनाकर कांग्रेस की सक्रिय राजनीति में वापसी का रास्ता खोला है। अब चौधरी मुख्यधारा में वापसी कर पाने कितने सफल होते हैं, यह देखने लायक होगा।



Log In Your Account