18 साल की राजनीति में 17 साल तक सांसद बनाया, 2 बार केंद्रीय मंत्री बनाया, फिर भी मोदी शाह की शरण में क्यों? MP कांग्रेस ने उठाया सवाल

Posted By: Himmat Jaithwar
3/11/2020

नई दिल्ली। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा, "सिंधिया को साइडलाइन किए जाने का सवाल ही नहीं है। वास्तव में, एमपी खास तौर पर ग्वालियर चंबल डिवीजन, के किसी भी कांग्रेस नेता से पूछिए और आपको पता चलेगा कि पिछले 16 महीनों में बिना उनकी सहमति के ग्वालियर चंबल डिवीजन में कुछ भी नहीं किया गया।"

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की कथित रूप से उपेक्षा किए जाने और पार्टी में उनको उनके कद के मुताबिक जगह नहीं देने के आरोप पर एमपी कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। पार्टी के ट्विटर अकाउंट में बताया गया है कि “सिंधिया जी की 18 साल की राजनीति में कांग्रेस ने उनको 17 साल तक सांसद बनाया, 2 बार केंद्रीय मंत्री बनाया, पार्टी का मुख्य सचेतक बनाया, राष्ट्रीय महासचिव बनाया, यूपी का प्रभारी बनाया, कार्यसमिति सदस्य बनाया, चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाया। इसके अलावा उनके कहने पर 50 से ज्यादा लोगों को टिकट दिया गया। साथ ही उनके नौ विधायकों को मंत्री बनाया गया। इसके बावजूद वे मोदी-शाह की शरण में चले गए। ऐसा क्यों है?”

उनकी उपेक्षा किए जाने के सवाल पर पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी बुधवार को इंकार किया। कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को “कभी भी साइडलाइन नहीं” किया गया। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक ट्विटर पर उन्होंने कहा कि पिछले 16 महीनों में बिना उनकी सहमति के ग्वालियर चंबल डिवीजन में कुछ भी नहीं किया गया। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी सुप्रीमो सोनिया गांधी को पत्र भेजकर कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा, “उनके साइडलाइन किए जाने का कोई सवाल ही नहीं है। वास्तव में, एमपी खास तौर पर ग्वालियर चंबल डिवीजन, के किसी भी कांग्रेस नेता से पूछिए और आपको पता चलेगा कि पिछले 16 महीनों में बिना उनकी सहमति के ग्वालियर चंबल डिवीजन में कुछ भी नहीं किया गया।”

दिग्विजय सिंह कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम भी हैं। उनका बयान उस समय आया है, जब मंगलवार को वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और 22 विधायकों के पार्टी से इस्तीफे के बाद मध्यप्रदेश में कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के भविष्य पर संकट के बादल छा गए हैं। सिंधिया के पार्टी छोड़ने से मध्यप्रदेश में कमल नाथ सरकार को जोरदार झटका लगा है। हालांकि पार्टी नेता इससे इंकार करते हुए दावा कर रहे हैं कि प्रदेश सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।



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