लॉकडाउन में मार्केट बंद हुआ तो 11 किसानों ने लॉन्च किया ऑनलाइन ऐप; एक साल में 1 हजार किसान जुड़े, 9 करोड़ पहुंचा टर्नओवर

Posted By: Himmat Jaithwar
4/28/2021

मुम्बई। पिछले साल कोरोना के चलते जब लॉकडाउन लगा तो कई लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ा। किसी की नौकरी चली गई तो किसी का धंधा बंद हो गया। बड़े शहरों के साथ-साथ छोटे शहरों और गांवों में भी कोरोना की पाबंदियों ने लोगों के रोजगार और जीविका को बहुत हद तक प्रभावित किया। किसान भी इससे अछूते नहीं रहे। लॉकडाउन के चलते वे अपना प्रोडक्ट मंडियों में नहीं बेच सके। कई किसानों के प्रोडक्ट खेत में ही खराब हो गए।

महाराष्ट्र के अहमदनगर में रहने वाले किसानों के साथ भी ऐसा ही हुआ। बाजार नहीं मिलने के चलते उनके पास फलों और सब्जियों का स्टॉक बढ़ गया। कुछ दिनों तक उन लोगों ने इधर-उधर कोशिश की, लेकिन कहीं बात नहीं बनी। इसके बाद 11 किसानों ने मिलकर 'किसान कनेक्ट' नाम से एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लॉन्च किया। जिसके जरिए वे अपने प्रोडक्ट मुंबई, पुणे और श्रीरामपुर के इलाकों में बेच रहे हैं।

वॉट्सऐप ग्रुप बनाकर बेचने शुरू किए अपने प्रोडक्ट

अहमद नगर के रहने वाले श्रीकांत ढोक्चावले एमबीए ग्रेजुएट हैं। कई कंपनियों में काम कर चुके हैं। वे पिछले कुछ सालों से खेती कर रहे हैं। श्रीकांत कहते हैं कि जब लॉकडाउन लगा तो अचानक से सबकुछ बंद हो गया। न तो मार्केट में दुकानें खुलतीं थीं, न ही लोग बाहर निकल रहे थे। हमारे सभी प्रोडक्ट खराब होने लगे। इसके बाद मैंने अपने कुछ किसान साथियों से मिलकर ऑनलाइन मार्केटिंग के बारे में बात की। चूंकि तब लोग खुद अपनी जरूरतों के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की तरफ शिफ्ट हो रहे थे। इसलिए हमने तय किया कि हम मार्केट पर डिपेंड रहने के बजाय खुद ही अपना प्रोडक्ट लोगों के घर तक पहुंचाएंगे।

सब्जियों और फलों को अलग-अलग पैकेट में पैक करके एक पेटी में रखा जाता है। फिर उसे कस्टमर्स तक पहुंचाया जाता है।
सब्जियों और फलों को अलग-अलग पैकेट में पैक करके एक पेटी में रखा जाता है। फिर उसे कस्टमर्स तक पहुंचाया जाता है।

श्रीकांत बताते हैं कि अप्रैल 2020 में हमने एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया और कुछ किसानों को उसमें जोड़ा। फिर हमने मुंबई और पुणे के कुछ सोसाइटियों और कॉलोनियों में संपर्क किया। जब वे प्रोडक्ट खरीदने के लिए तैयार हो गए तो हमने ऑर्डर लेना शुरू कर दिया। इसके बाद धीरे-धीरे हमारा दायरा बढ़ता गया। हम एक सोसाइटी से दूसरी, तीसरी और इसी तरह पूरे शहर को कवर करते गए।

वे बताते हैं कि शुरुआत के करीब 6 महीने तक हमने वॉट्सऐप और सोशल मीडिया के जरिए मार्केटिंग की, लेकिन जब प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ने लगी और हमारा नेटवर्क भी बड़ा होने लगा तो हमने अपने कुछ आईटी प्रोफेशनल दोस्तों से बात की और kisankonnect.in नाम से अपना एप और वेबसाइट लॉन्च किया।

पहले ही महीने 40 लाख का टर्नओवर

श्रीकांत बताते हैं कि शुरुआत हमने 11 किसानों के साथ की थी, लेकिन तीन महीने में ही हमारे साथ 400 से ज्यादा किसान जुड़ गए। पहले महीने में हमने 40 लाख की मार्केटिंग की थी। तीसरे महीने में हमारा टर्नओवर बढ़कर 3 करोड़ रुपए पहुंच गया। अभी हमारे साथ 1 हजार से ज्यादा किसान जुड़े हैं और हम 9 करोड़ रुपए से ज्यादा का टर्नओवर हासिल कर चुके हैं। इस दौरान हमने एक लाख से ज्यादा वेजिटेबल बॉक्स की सप्लाई की है।

कैसे काम करता है किसान कनेक्ट?

खेत से प्रोडक्ट आने के बाद यूनिट में उसकी क्वालिटी टेस्टिंग होती है। फिर टीम में काम करने वाले कर्मचारी उसकी पैकेजिंग करते हैं।
खेत से प्रोडक्ट आने के बाद यूनिट में उसकी क्वालिटी टेस्टिंग होती है। फिर टीम में काम करने वाले कर्मचारी उसकी पैकेजिंग करते हैं।

किसानों ने अपना एक ऐप लॉन्च किया है। जो किसी भी स्मार्टफोन से ऑपरेट हो सकता है। इसके साथ ही सीधे वेबसाइट पर जाकर भी प्रोडक्ट खरीदा जा सकता है। किसान कनेक्ट ऐप या साइट पर जाने के बाद आपको सबसे पहले लोकेशन सिलेक्ट करनी होगा। उसके बाद आपको अलग-अलग फलों और सब्जियों की लिस्ट मिलेगी। जहां उनकी क्वांटिटी और प्राइस मेंशन की गई है। आपको जो भी प्रोडक्ट खरीदना है उस पर क्लिक करने के बाद आपको लॉग इन करना होगा। इसके बाद आप अपने पते पर उस प्रोडक्ट की डिमांड कर सकते हैं। ऑर्डर फाइनल करने के बाद प्रोडक्ट की डिलीवरी की टाइमिंग भी आपको पता चल जाएगी।

अगर कोई स्मार्ट फोन चलाना नहीं जानता तो वो सीधे कस्टमर केयर के पास फोन करके भी ऑर्डर कर सकता है। हिंदी, अंग्रेजी और लोकल लैंग्वेज में कस्टमर केयर बातचीत करते हैं। किसानों ने अहमदनगर में अपनी एक यूनिट बनाई है। जहां ग्रुप में शामिल किसान खेत से निकालकर अपना प्रोडक्ट पहुंचा देते हैं। यहां से पैकेजिंग के बाद प्रोडक्ट की डिलीवरी होती है।

फूड ट्रक के जरिए पेटियों में करते हैं फल और सब्जियों की सप्लाई

39 साल के मनीष मोरे भी इस टीम के फाउंडिंग मेंबर हैं। उन्होंने बिजनेस मैनेजमेंट में ग्रेजुएशन किया है। वे पिछले 10 साल से खेती कर रहे हैं। इससे पहले कुछ रिटेल कंपनियों में काम कर चुके हैं। वे कहते हैं कि जब डिमांड बढ़ने लगी और एक-एक सोसाइटी में 100-100 कस्टमर तैयार हो गए तो हमने फूड ट्रक से प्रोडक्ट की सप्लाई करनी शुरू की। इस फूड ट्रक की डिजाइन इस तरह की गई है कि यह एक सब्जी मंडी की तरह दिखता है। इसमें अलग-अलग वैराइटी के प्रोडक्ट को अलग-अलग पेटियों में रखते हैं। ये पेटियां एक किलो से लेकर 12 किलो तक होती है। कई पेटियां तो कम्बो पैक बेस्ड होती है। यानी एक ही पेटी में कई सब्जियां और फ्रूट रहते हैं।

ये किसान कनेक्ट में काम करने वाले एम्प्लॉई हैं, जो कस्टमर्स के पास प्रोडक्ट की डिलीवरी करने का काम करते हैं। इनका दावा है कि ये 24 घंटे के भीतर कस्टमर के पास पहुंच जाते हैं।
ये किसान कनेक्ट में काम करने वाले एम्प्लॉई हैं, जो कस्टमर्स के पास प्रोडक्ट की डिलीवरी करने का काम करते हैं। इनका दावा है कि ये 24 घंटे के भीतर कस्टमर के पास पहुंच जाते हैं।

इस नए आइडिया से क्या बदला?

अब इन किसानों को अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए किसी मार्केट में या मंडी तक नहीं जाना पड़ता है। वे सीधे ग्राहकों तक ऑनलाइन बुकिंग के जरिए अपना प्रोडक्ट बेच पाते हैं। इससे उन्हें ज्यादा मुनाफा हो रहा है और उनके प्रोडक्ट भी खराब नहीं हो रहे हैं। साथ ही ग्राहकों को भी इससे फायदा हो रहा है। उन्हें कोरोना संक्रमण के दौर में घर से बाहर जाने की मजबूरी नहीं है। वे फल, सब्जियां और अपनी जरूरत की चीजें ऑनलाइन बुक कर सकते हैं। वो भी मार्केट रेट पर या उससे कम कीमत पर। सबसे अच्छी बात है कि ग्राहकों तक 24 घंटे के भीतर प्रोडक्ट की डिलीवरी हो जाती है।

लॉकडाउन में जिनकी नौकरी गई, उन्हें रोजगार भी दिया

इस स्टार्टअप से किसानों के साथ ही उन लोगों को भी फायदा हुआ है, जिनकी नौकरी लॉकडाउन में छूट गई। ऐसे करीब 200 से ज्यादा लोग हैं। ये लोग किसानों के यहां से प्रोडक्ट कलेक्शन से लेकर पैकेजिंग और डिलीवरी तक का काम करते हैं। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं। साथ ही पढ़े-लिखे युवा भी कस्टमर केयर और मार्केटिंग का काम संभाल रहे हैं। इस टीम के मेंबर चेतन बताते हैं कि जिन युवाओं की लॉकडाउन में नौकरी गई थी, हमने सबसे पहले उन्हें ट्रेंड किया, और फिर काम पर रख लिया।



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