केयर्न एनर्जी के बाद देवास मल्टीमीडिया ने भी उठाई आवाज, विदेशों में एयर इंडिया की संपत्ति जब्त करने की मांग की

Posted By: Himmat Jaithwar
6/30/2021

इंटरनेशनल आब्रिट्रेशन (मध्यस्थता) कोर्ट में भारत सरकार को एक और झटका लगा है। देवास मल्टीमीडिया ने केंद्र सरकार से 1.2 अरब डॉलर से ज्यादा की रिकवरी के लिए एयर इंडिया को निशाना बना रही है। इसके तहत कंपनी विदेशों में एयर इंडिया के असेट्स को जब्त करने की कोशिश शुरू कर दी है। इससे पहले केयर्न एनर्जी ने भी असेट्स सीज करने की मांग की थी।

देवास मल्टीमीडिया ने अमेरिका में न्यूयॉर्क के एक कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा कि भारत सरकार एविएशन कंपनी एयर इंडिया की ओनर है। इस वजह से वह सरकार का बकाया चुकाने के लिए जवाबदेह है। याचिका में एयर इंडिया से रकम चुकता करने की मांग की गई है। या फिर विमान, कार्गो हैंडलिंग नेटवर्क जैसे अमेरिका में मौजूद कंपनी की संपत्ति को जब्त करने की मांग की गई है।

देवास और केंद्र सरकार के बीच 10 साल पुराना विवाद
बता दें कि देवास मल्टीमीडिया और भारत सरकार के बीच यह विवाद लगभग 10 साल पुराना है। जब सरकारी कंपनी एंट्रिक्स कॉर्प ने देवास मल्टीमीडिया के साथ एक एग्रीमेंट को रद्द कर दिया था। देवास मल्टीमीडिया ने अपनी याचिका में कहा था कि इससे कंपनी को लाखों डॉलर के इनवेस्टमेंट को घाटा हुआ है।

बकाया भुगतान की मांग कर रहा देवास मल्टीमीडिया
देवास मल्टीमीडिया और सरकार के बीच विदेश में कई अदालती मामले चल रहे हैं। हालांकि, कंपनी ने आर्बिट्रेशन के फैसले के मुताबिक सरकार से बकाया भुगतान करने की मांग की है, जबकि सरकार कंपनी को बेचने के साथ ही उससे जुड़े एक कथित घोटाले की जांच करना चाहती है।

एयर इंडिया को बेचने की कोशिश को लग सकता है झटका
दूसरी ओर केंद्र सरकार घाटे में चल रही एयर इंडिया को बेचने की कोशिश कर रही है। लेकिन इस तरह के कानूनी मामलों से उसकी योजना को झटका लग सकता है। साथ ही एक इनवेस्टमेंट डेस्टिनेशन के तौर पर भारत की छवि पर भी बुरा असर पड़ेगा। क्योंकि देवास मल्टीमीडिया के अलावा वोडाफोन और केयर्न एनर्जी के साथ भी इसी तरह का विवाद है।

भारत की इन्वेस्टमेंट छवि पर पड़ेगा असर
पिछले महीने केयर्न एनर्जी की ओर से भी इसी तरह की याचिका दायर की गई थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने पब्लिक सेक्टर के बैंकों से उनके डॉलर में डिपॉजिट्स को सेफ करने को कहा था, जिससे उनके जब्त होने के खतरे से बचा जा सके।

टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन और केंद्र सरकार के बीच भी 3 अरब डॉलर का टैक्स विवाद है। इसी तरह केयर्न एनर्जी के साथ 1.2 अरब डॉलर का विवाद है। इंटरनेशनल ऑर्बिट्रेशन कोर्ट में दोनों के पक्ष में फैसला सुनाया गया। इसके बाद केंद्र सरकार ने दोनों फैसलों के खिलाफ याचिका दायर की।



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