रतलाम में 7 नवंबर को रेलवे में लोको पायलट (शंटर) के पद पर पदस्थ आदित्य अमर्त्य वर्मा निवासी रतलाम के साथ 5 नवंबर की रात 1:35 से 1:45 बजे के बीच कुछ अज्ञात बदमाशों द्वारा चाकू की नोक पर हमला कर ₹3,000/- फोन पे के माध्यम से ट्रांसफर कराए जाने एवं रियलमी कंपनी के ईयरबस छीनने की घटना के मामले में जीआरपी रतलाम थाना पुलिस ने तत्परता और सूझबूझ से कार्यवाही करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि दो अन्य की तलाश जारी है।
फरियादी की रिपोर्ट पर थाना जीआरपी रतलाम में अपराध क्रमांक 348/25 धारा 304 (2), 115(2), 351 (2), 3(5) बीएनएस पंजीबद्ध कर विवेचना प्रारंभ की गई। घटना की गंभीरता को देखते हुए जीआरपी एवं आरपीएफ की संयुक्त टीम तत्काल गठित की गई।
डिजिटल ट्रेल बना पुलिस का हथियार विवेचना के दौरान पुलिस ने आरोपी द्वारा फोन पे के माध्यम से प्राप्त राशि के ट्रांजैक्शन डिटेल बैंक से हासिल की। मिली जानकारी के आधार पर संदेही भुवनेश्वर पाटीदार की तलाश की गई जो अपने घर पर नहीं मिला। तत्पश्चात पुलिस को सूचना मिली कि वह डाट की पुल, रतलाम के पास संदिग्ध अवस्था में बैठा है।
पुलिस टीम ने तुरंत घेराबंदी कर उसे गिरफ्तार किया। पूछताछ में आरोपी ने अपने साथियों बाबू उर्फ विजय, लक्की और नीलू के साथ घटना को अंजाम देना स्वीकार किया। भुवनेश्वर के बयान के आधार पर पुलिस ने बाबू उर्फ विजय को भी गिरफ्तार कर लिया। शेष आरोपी लक्की एवं नीलू की तलाश जीआरपी टीम द्वारा की जा रही है।
इनकी किया गिरफ्तार आरोपीगण
1. भुवनेश्वर पाटीदार पिता राकेश पाटीदार उम्र 22 वर्ष निवासी टैंकर रोड, नया गांव, राजगढ़, थाना औद्योगिक क्षेत्र रतलाम।
2. विजय उर्फ बाबू वर्मा पिता रमेशचंद्र वर्मा उम्र 23 वर्ष निवासी मीराकूटी, गांधी नगर, थाना औद्योगिक क्षेत्र रतलाम निवासी लक्की एवं नीलू अभी फरार है।
इस त्वरित एवं प्रभावी कार्रवाई में थाना प्रभारी निरीक्षक मोतीराम चौधरी के निर्देशन में सउनि शिवसिंह चौहान, प्र.आर.96 मोहम्मद रईस, आर. 646 ऋषभ, आर. 641 अंकित शेखावत, आर. 200 संजय डाबी, तथा आरपीएफ स्टाफ के उनि गवेन्द्र सिंह, सउनि संतोष सिंह एवं प्र.आर. राजभान सिंह की सराहनीय भूमिका रही। पुलिस अधीक्षक रेल इंदौर द्वारा टीम को उत्कृष्ट कार्य हेतु प्रोत्साहित करते हुए प्रशंसा की गई है। जीआरपी रतलाम की यह कार्रवाई रेलवे यात्रियों की सुरक्षा के प्रति पुलिस की तत्परता और तकनीकी दक्षता का उदाहरण है। ऐसी कार्रवाइयाँ यात्रियों में पुलिस के प्रति विश्वास और अपराधियों में भय उत्पन्न करती हैं।