गुड़गांव-मानेसर और सिंधिया-पायलट कनेक्शन, कहीं इसने तो नहीं बढ़ा दी अशोक गहलोत की धड़कन!

Posted By: Himmat Jaithwar
7/12/2020

जयपुर/नई दिल्ली
सीएम और युवा डेप्युटी सीएम के बीच खींचतान की चर्चाएं, युवा नेता का दिल्ली में डेरा डालना, पार्टी के 24 विधायकों का दिल्ली से सटे प्रतिद्वंद्वी पार्टी शासित दूसरे राज्य में होटल में रुकना और कथित तौर पर पार्टी नेतृत्व के संपर्क में नहीं रहना, मुख्यमंत्री का विरोधी दल पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाना...कोरोना संकट के बीच कांग्रेस शासित राजस्थान  में अचानक सियासी हलचल बहुत तेज हो चुकी है।

कमलनाथ जैसे हश्र का डर!
सब कुछ करीब-करीब वैसा ही जैसा 4 महीने पहले तब कांग्रेस शासित मध्य प्रदेश में हुआ था और आखिरकार कमलनाथ सरकार गिर गई थी। ऐसे में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत की धड़कनों का बढ़ना लाजिमी है कि कहीं उनका भी हश्र कमलनाथ जैसा न हो।

तो क्या राजस्थान में दोहराई जा रही एमपी की कहानी?
4 महीने पहले मध्य प्रदेश में जो कुछ हुआ और आज राजस्थान में जो कुछ हो रहा है, उनमें बहुत समानताएं हैं। तब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस के 22 विधायकों का इस्तीफा कराकर कमलनाथ सरकार को गिरा दिया था। विधायकों को पहले गुड़गांव और बाद में बेंगलुरू के होटल में ठहराया गया था। कमलनाथ के सामने तब युवा ज्योतिरादित्य सिंधिया थे तो अब गहलोत के सामने युवा डेप्युटी सीएम सचिन पायलट हैं। पायलट 3 दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। दूसरी तरफ राजस्थान कांग्रेस के 24 विधायक शनिवार रात से ही गुड़गांव के ही मानेसर में एक बड़े होटल में रुके हुए हैं। कई विधायकों के मोबाइल फोन स्विच्ड ऑफ हैं।

सिंधिया की राह पकड़ेंगे पायलट?
2018 विधानसभा चुनाव के वक्त सिंधिया और पायलट दोनों ही मुख्यमंत्री पद के सशक्त दावेदार थे। लेकिन बाजी हाथ लगी थी कमलनाथ और गहलोत के नाम। राहुल गांधी की कोर टीम का हिस्सा रह चुके सिंधिया और पायलट एक दूसरे के बहुत ही अच्छे दोस्त हैं। जब एमपी में सिंधिया ने पार्टी से बगावत कर कमलनाथ सरकार को गिराया था, तब सोशल मीडिया पर ऐसी अटकलें खूब लगी थीं कि कहीं पायलट भी दोस्त सिंधिया की राह न पकड़ लें।


दिल्ली में पायलट, होटल में विधायक
पायलट दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। चर्चा तो यह भी है कि वह बीजेपी के संपर्क में हैं। इन चर्चाओं को तब और बल मिला जब शनिवार देर रात गहलोत की बुलाई बैठक में उनके समर्थक कई मंत्री शामिल नहीं हुए। पूरे सियासी घटनाक्रम पर पायलट की तरफ से अभी कोई टिप्पणी नहीं आई है।

BJP की साजिश या कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान?
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बीजेपी पर विधायकों की खरीदफरोख्त कर अपनी सरकार गिराने की कोशिश का आरोप लगा रहे हैं, तो बीजेपी ठीक वैसे ही इसे कांग्रेस की आपसी खींचतान बता रही है, जैसे 4-5 महीने पहले मध्य प्रदेश के सियासी संकट पर बोल रही थी। गहलोत का दावा है कि विधायकों को 25-25 करोड़ रुपये का लालच दिया जा रहा है। बीजेपी इसे कांग्रेस की आपसी गुटबंदी से ध्यान भटकाने की कवायद करार दे रही है।


मौजूदा समीकरण
200 सदस्यों वाली राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के 107 विधायक हैं। इसके अलावा उन्हें 13 इंडिपेंडेट विधायकों का समर्थन भी हासिल है। आरएलडी के एक विधायक सुभाष गर्ग भी सरकार के साथ हैं जो गहलोत कैबिनेट में मंत्री हैं। इस तरह गहलोत सरकार को 121 विधायकों का समर्थन हासिल है। दूसरी तरफ बीजेपी के 72 विधायक हैं।



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