अशोक गहलोत जब 1998 में मुख्यमंत्री बने, तब भी विरोध झेलना पड़ा था; सचिन पायलट को बगावती तेवर पिता से विरासत में मिले

Posted By: Himmat Jaithwar
7/16/2020

राजनीतिक विश्लेषक राजस्थान में मचे सियासी घमासान को अनुभवी नेताओं और युवा ब्रिगेड की लड़ाई बता रहे हैं। ऐसा पहली बार नहीं है जब अशोक गहलोत को विरोध का सामना करना पड़ा हो। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में कई बार सहयोगी दलों ओर नेताओं का विरोध झेला है। 1998 में गहलोत कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष थे। तब उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया था। उस वक्त भी विरोध के चलते दो उप-मुख्यमंत्री बनाए गए। सचिन पायलट की बात करें तो उन्हें बगावती तेवर अपने पिता राजेश पायलट से विरासत में मिले हैं। राजेश पायलट ने भी गांधी परिवार के खास सीताराम केसरी के खिलाफ 1997 में कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था।

अशोक गहलोत

1998 में तत्कालीन राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया गया था और गिरिजा व्यास प्रदेशाध्यक्ष बनीं। इसी बीच सत्ता और संगठन के बीच खींचतान हो गई। कांग्रेस के दिग्गज जाट नेताओं ने सीएम बदलने की मांग उठाई। बाद में कमला बेनीवाल और बनवारी लाल को उप-मुख्यमंत्री बनाकर शांत किया गया।

  • गहलोत ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1974 में एनएसयूआई अध्यक्ष के तौर पर की थी। वे 1979 तक इस पद पर रहे।
  • 1979 से 1982 तक कांग्रेस के जोधपुर जिलाध्यक्ष रहे। 1982 में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने। 1980 में सांसद बने।
  • पांच बार सांसद रहे चुके गहलोत पांचवी बार विधायक बने हैं। वे 1982 से 1983 तक पर्यटन उपमंत्री और 1983 से 1984 में नागरिक उड्‌डयन, 1984 में खेल उपमंत्री, 1984-85 में पर्यटन-नागरिक उड्‌डयन राज्यमंत्री, 1991-93 तक वस्त्र राज्य मंत्री रहे थे।
  • 2004 से 2009 कांग्रेस महासचिव, 2004 में कांग्रेस कार्यसमिति, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रभारी रहे  थे।

खासियत: मुक्ति संग्राम से चर्चित
तीन बार प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। 1971 में बंग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान बंगाल में शरणार्थी शिविरों में काम किया। अशोक गहलोत के बेटे वैभव कारोबारी हैं और राजस्थान क्रिकेट संघ अध्यक्ष भी हैं।

सचिन पायलट

किसान राजनीति के चेहरे के रूप में उभरे सचिन के पिता राजेश पायलट ने गांधी परिवार के खास सीताराम केसरी के खिलाफ 1997 में कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था। बाद में सोनिया गांधी के खिलाफ लड़ने वाले जितेंद्र प्रसाद के साथ खड़े रहे। एक बार कहा था कि पार्टी में जवाबदेही, पारदर्शिता नहीं रही, कुर्सी को सलाम किया जाने लगा है।

  • सचिन 2014 में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने।
  • 2009 में केंद्र में संचार और आईटी राज्य मंत्री बने। 2012 में केंद्र में कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री बने।
  • 2004 में 14वीं लोकसभा के लिए 26 साल की उम्र में सबसे युवा सांसद बने। 2014 में अजमेर सीट से लोकसभा का चुनाव हार गए।
  • 2018 में टोंक विधानसभा सीट से चुनाव जीते।
  • सचिन ने दिल्ली के सेंंट स्टीफंस कॉलेज बीए ऑनर्स और अमेरिका से एमबीए की पढ़ाई की है। सचिन की पत्नी सारा पायलट जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला की बेटी हैं। उनके 2 बेटे हैं।

खासियत: ग्रामीण राजनीति पर पकड़
जब सचिन ने राजनीतिक विरासत संभालना शुरू किया तो पिता के अंदाज में ही खुद गाड़ी चलाकर गांव-गांव घूमना शुरू किया था।



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