मुंबई: महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे ने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षा सितंबर महीने में आयोजित करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. कोरोनो वायरस (Coronavirus) के प्रकोप और लॉकडाउन के कारण इस साल के शुरुआत में परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया था. यह याचिका युवा सेना द्वारा दायर की गई है, जो शिवसेना की यूथ विंग है और इसका नेतृत्व आदित्य ठाकरे कर रहे हैं.
युवा सेना ने अपने बयान में कहा कि "केंद्र सरकार परीक्षा आयोजित करने की अनुमति देकर देशभर में छात्रों की सुरक्षा, डर, मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य की अनदेखी कर रही है." सेना ने कहा, "कोरोना एक राष्ट्रीय आपदा है, इसे देखते हुए यूजीसी को अंतिम वर्ष की परीक्षाएं स्थगित कर देनी चाहिए. हालांकि, ऐसा लगता है कि UGC इस बात को नहीं समझ पा रहा है कि देश किस विपत्ति से गुजर रहा है."
युवा सेना ने कहा कि स्टूडेंट्स और परीक्षा पर्यवेक्षक एग्जाम सेंटर आएंगे और जाएंगे इससे कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. आईआईटी जैसे देशभर के प्रमुख शिक्षण संस्थान पहले ही अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द कर चुके हैं. संगठन ने कहा कि छात्रों इस अकादमिक वर्ष में अब तक प्राप्त किए गए नंबरों के आधार पर प्रमोट किया जाना चाहिए.
यूजीसी ने इस साल के आखिर में अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित करने की बात कही थी. जिसके बाद शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने मानव संसाधन मंत्रालय की आलोचना की थी. उन्होंने इस फैसले को "बिल्कुल बेतुका और शायद किसी और दुनिया का" करार दिया था. ठाकरे ने अपने ट्वीट में कहा था, "क्या यूजीजी हर स्टूडेंट की स्वास्थ्य की जिम्मेदारी लेगा और चेताया था कि इससे लाखों छात्र-छात्राओं और टीचिंग स्टाफ की जान खतरे में पड़ सकती है."