कोरोना के चलते ताज होटल की नौकरी गई तो घर पर ही रेस्टोरेंट शुरू किया, आज हर महीने एक लाख रुपए कमा रहे

Posted By: Himmat Jaithwar
1/27/2021

आज की कहानी जम्मू के रहने वाले नरेन् सराफ की। सराफ ने होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया है। उनका सपना ताज होटल में नौकरी करने का था। उनका चयन भी हो गया। लेकिन, तभी कोरोना के चलते लॉकडाउन लगा और उनकी नौकरी चली गई। इसके बाद सराफ ने अपने घर पर ही रेस्टोरेंट शुरू किया। महज दो महीने में ही उनका यह काम चल निकला। आज वे हर महीने एक लाख रुपए कमा रहे हैं।

कोरोना में खाली बैठ तो आया आइडिया

सराफ ने स्पेशल मेन्यू तैयार किया। जिसमें नॉर्थ इंडियन वेज- नॉन वेज, साउथ इंडियन, गाली स्टाइल फिश और कीमा राजमा जैसे फूड शामिल किए।
सराफ ने स्पेशल मेन्यू तैयार किया। जिसमें नॉर्थ इंडियन वेज- नॉन वेज, साउथ इंडियन, गाली स्टाइल फिश और कीमा राजमा जैसे फूड शामिल किए।

23 साल के नरेन सराफ बताते हैं कि होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई के दौरान वे इंटर्नशिप के लिए जोधपुर के उमेद भवन गए। वहां उनके काम को काफी पसंद किया गया। वहां से उनकी प्रोफाइल बनाकर ताज होटल को भेज दी गई। मार्च 2020 में सराफ का सेलेक्शन भी हो गया। सितंबर में उन्हें ज्वाइन करना था। लेकिन, कोरोना के चलते वे ज्वाइन नहीं कर सके। बाद में नौकरी नहीं रही। इसी बीच उन्होंने तय किया कि खाली समय में कुछ रेसिपी बनाई जाए। इसके बाद उन्होंने कुछ वेज और नॉन वेज रेसिपी बनाई और रिश्तेदारों को खिलाया। उनके बनाए खाने का टेस्ट लोगों को पसंद आया। इसके बाद सराफ ने तय किया कि वे अपना ही रेस्टोरेंट खोलेंगे।

सराफ ने 'आउट ऑफ द बॉक्स' नाम से रेस्टोरेंट की शुरुआत की। उन्होंने खाने के टेस्ट पर फोकस किया। वे कहते हैं, लोगों के दिलों तक पहुंचना है तो उनके जीभ के जरिए भी पहुंचा जा सकता है।' सराफ ने स्पेशल मेन्यू तैयार किया। जिसमें ​​​​​​नॉर्थ इंडियन वेज- नॉन वेज, साउथ इंडियन, गाली स्टाइल फिश और कीमा राजमा जैसे फूड शामिल किए। इसके साथ ही युवाओं के टेस्ट को ध्यान में रखते हुए काबली कबाब और बर्गर बनाना शुरू किया।

तीसरे महीने ही कमाई एक लाख पहुंची

सराफ ने दो लोगों को अपनी मदद के लिए रखा है। इसके साथ ही उनके परिवार वाले भी उनकी मदद करते हैं।
सराफ ने दो लोगों को अपनी मदद के लिए रखा है। इसके साथ ही उनके परिवार वाले भी उनकी मदद करते हैं।

पिछले साल नवंबर में सराफ ने अपने बिजनेस की शुरुआत घर से की। पहले वे परिचितों को खाना खिलाते थे। बाद में उन्होंने सोशल मीडिया की मदद ली और अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर ग्रुप बनाकर लोगों को जोड़ना शुरू किया। वे अपने खाने का मेन्यू सोशल मीडिया पर शेयर करने लगे। इस काम में उनके दोस्तों ने भी मदद की। इससे ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगी। वे कहते हैं, 'हमारे 80 फीसदी से ज्यादा ग्राहक वही हैं, जिन्होंने पहली बार खाने का ऑर्डर किया था। यानी उन्हें हमारा काम पसंद आया है। इससे हमारा मनोबल बढ़ा और अब मैं होम डिलीवरी भी करने लगा हूं।'

हर दिन तीन से चार हजार रुपए कमा रहे

सराफ घर के किचन में ही खाना तैयार करते हैं। अभी उन्होंने दो तरह की व्यवस्था कर रखी है। एक टेक-अवे और दूसरी होम डिलीवरी। यानी आप या तो खाना घर ले जा सकते हैं या सराफ खुद आपके घर खाना पहुंचाएंगे। वे बताते हैं कि अभी हर रोज 8 से 10 ऑर्डर उन्हें मिल जाते हैं। इनमें ज्यादातर पूरी फैमिली के लिए होते हैं। 1500-2000 रुपए तक एक ऑर्डर की कीमत होती है। इसमें वे हर दिन तीन से चार हजार रुपए कमा रहे हैं।

सराफ बताते हैं कि अभी हर रोज 8 से 10 ऑर्डर उन्हें मिल जाते हैं। इनमें ज्यादातर पूरी फैमिली के लिए होते हैं।
सराफ बताते हैं कि अभी हर रोज 8 से 10 ऑर्डर उन्हें मिल जाते हैं। इनमें ज्यादातर पूरी फैमिली के लिए होते हैं।

सराफ कहते हैं कि उन्होंने वहीं किया है, जो बचपन से पसंद था और अपने ग्राहकों को वही परोस रहे हैं, जो बचपन से खुद खाते रहे हैं। ताजा और लजीज स्वाद। बस आइडिया नया था जो क्लिक कर गया और आज एक ब्रांड बन गया। वे कहते हैं, 'यह स्टार्ट अप का जमाना है, युवाओं को आगे आने की जरूरत है।' सराफ ने दो लोगों को अपनी मदद के लिए रखा है। इसके साथ ही उनके परिवार वाले भी उनकी मदद करते हैं।



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