इंदौर को 25-30 % और जबलपुर को चंद हजार!, सांसद विवेक तन्खा ने कहा- कोर्ट जाने के लिए मजबूर मत करिए

Posted By: Himmat Jaithwar
4/26/2021

रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन सप्लाई के मामले में जबलपुर के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार पर राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस के राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा ने सोशल मीडिया पर एक-एक कर कई पोस्ट किए। सरकार से मांग की, रेमडेसिविर इंजेक्शन का संभागीय कोटा निर्धारित हो। ऐसा नहीं कि इंदौर को 25-30 % दे दिया जाए और जबलपुर को चंद हजार। यह हमारे शहर के साथ अन्याय है, मुझे न्यायालय की शरण लेने के लिए मजबूर मत करिए।

राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने सोशल पोस्ट के माध्यम से कहा कि मरीज, जनसंख्या और जरूरत के अनुपात से रेमडेसिविर इंजेक्शन का संभागीय कोटा निर्धारित होना चाहिए। इंदौर को 30 प्रतिशत तो जबलपुर का अनुपात क्या? 25-30 प्रतिशत जबलपुर की भी जरूरत है आकाश त्रिपाठी जी (आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं)। एक लाख रेमडेसिविर इंजेक्शन मप्र को 30 अप्रैल तक मिलेगी। लगभग 92 हजार एमपी को मिल चुकी है। जबलपुर को क्या दिया?

स्वास्थ्य सचिव के इंटरव्यू पर सरकार को घेरा
इंटरव्यू में लोक स्वास्थ्य सेवाएं आकाश त्रिपाठी ने उक्त आवंटन के बारे में बताया था। इसमें बताया गया था कि 30 अप्रैल तक एक लाख इंजेक्शन एमपी को मिलेंगे। इसमें 25 से 30 प्रतिशत डोज इंदौर को देने की बात कही थी। अब इसी इंटरव्यू के आधार पर राज्य सभा सांसद ने प्रदेश सरकार के जबलपुर को लेकर दिखाए जा रहे सौतेलेपन को उठाते हुए घेरने का प्रयास किया है।

ऑक्सीजन सप्लाई में भी जबलपुर से भेदभाव का आरोप
जबलपुर के साथ लगातार अन्याय होने की बात कहते हुए उन्होंने न्यायालय की शरण लेने के लिए मजबूर न करने की चेतावनी दी है। एयरलिफ्ट कर भोपाल ग्वालियर सहित इंदौर में ऑक्सीजन पहुंचाने को लेकर भी उन्होंने प्रदेश सरकार पर तंज कसते हुए ने पूछा था कि क्या जबलपुर मध्यप्रदेश का हिस्सा नहीं है। क्या जबलपुर मध्यप्रदेश में नहीं है कहीं और है?

पहले भी सोशल मीडिया के माध्यम से उठा चुके हैं पीड़ा
जबलपुर को लेकर राज्य सभा सांसद पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया पर अपना दर्द उठा चुके हैं। कांग्रेस विधायकों के साथ मिलकर वह अपने स्तर पर ऑक्सीजन तक मंगवा चुके हैं। यहीं नहीं प्रशासन को एक हजार बेड क्षमता का अस्थाई कोविड केयर सेंटर बनाने के लिए एक करोड़ रुपए मदद देने की घोषणा भी कर रखी है। पर प्रशासन इस तरह का अस्थाई कोविड केयर सेंटर बनाने में दिलचस्पी ही नहीं दिखा रहा है।



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