प्रेमचंद गुड्डू घर वापस आएंगे, तुलसी सिलावट के खिलाफ हाथ आजमाएंगे

Posted By: Himmat Jaithwar
4/29/2020

भोपाल। दुनिया भर में शायद मध्यप्रदेश अकेला ऐसा राज्य होगा जहां महामारी यानि साक्षात मृत्यु के बीच बचाव के साथ-साथ चुनाव की तैयारियां भी चल रही है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तुलसी सिलावट को मंत्री तो बनवा दिया लेकिन आप चुनाव जितवा ना आसान नहीं होगा। बताया जा रहा है कि दंगल के पुराने पहलवान प्रेमचंद गुड्डू को घर वापस लाने की तैयारियां जोर शोर से चल रही है। अधिसूचना जारी होने से पहले दोनों पहलवान मैदान में धूल उड़ाते नजर आएंगे। 

भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार श्री रवींद्र कैलासिया की एक रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस से नाराज होकर भारतीय जनता पार्टी में गए प्रेमचंद गुड्डू अब तक भाजपा में एडजस्ट नहीं हो पाए हैं। उन्हें घर की याद सता रही है। मौका कुछ ऐसा है कि कांग्रेस पार्टी को भी प्रेमचंद गुड्डू की काफी जरूरत महसूस हो रही है क्योंकि तुलसीराम सिलावट के सामने मुकाबला करने के लिए कांग्रेस पार्टी के पास फिलहाल कोई दमदार नाम नहीं है।

प्रेमचंद गुड्डू कांग्रेस छोड़कर भाजपा में क्यों गए थे

मालवा के नेता प्रेमचंद गुड्डू इंदौर के सांवेर तथा आगर-मालवा से दो बार विधायक रहे हैं। वे उज्जैन संसदीय सीट से एक बार सांसद भी रहे। गुड्डू की छवि दबंग नेता के रूप में रही है। उन्होंने 2013 में अपने पुत्र अजीत बौरासी को आलोट से टिकट दिलाने के लिए काफी प्रयास किए थे, लेकिन AICC ने अधिकृत प्रत्याशी दूसरे नेता को बना दिया था। मगर बी-फार्म में अजीत बौरासी का नाम होने से अंतिम समय में गुड्डू के बेटे को ही कांग्रेस का प्रत्याशी बनाया गया। इसके बाद 2018 में भी गुड्डू ने टिकट के लिए काफी प्रयास किए और जब आखिर समय तक नाम घोषित नहीं हुआ तो वे भाजपा में चले गए थे। इन दोनों घटनाक्रमों से उनके विरोधियों ने हाईकमान के सामने उनकी छवि बिगाड़ दी थी।

कमलनाथ पसंद नहीं करते लेकिन मजबूर हैं

भाजपा में जाने के बाद जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई तो प्रेमचंद गुड्डू ने वापसी के लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के माध्यम से प्रयास किए। उस समय सिंधिया समर्थक तुलसीराम सिलावट और कमल नाथ समर्थक सज्जन सिंह वर्मा ने विरोध किया था। आज परिस्थितियां बदल गई हैं। सिलावट खुद भाजपा में हैं और वे उपचुनाव में सांवेर से भाजपा प्रत्याशी बनाए जा रहे हैं। लिहाजा कांग्रेस को उनके खिलाफ टक्कर का प्रत्याशी नहीं मिल रहा है।



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