लैंसेट जर्नल ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन पर रिसर्च वापस ली; इस दवा से कोरोना मरीजों की मौत का खतरा बढ़ने का दावा किया था

Posted By: Himmat Jaithwar
6/5/2020

बॉस्टन. मेडिकल रिसर्च जर्नल लैंसेट ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) दवा से जुड़ी विवादित स्टडी (रिसर्च पेपर) को वापस ले लिया है। इस स्टडी को एनालिसिस करने वाली फर्म सर्जिस्फीयर ने इंडिपेंडेंट इवैल्यूऐशन के लिए पूरे डेटा देने से मना कर दिया। स्टडी में दावा किया गया था कि कोरोना संक्रमित मरीजों को एचसीक्यू देने से उनकी मौत का रिस्क बढ़ सकता है।

लैंसेट ने कहा- डेटा की गारंटी नहीं ले सकते
दुनियाभर के 100 से ज्यादा रिसर्चर ने स्टडी की सच्चाई के लिए डब्ल्यूएचओ और दूसरी संस्थाओं से जांच करवाने की मांग की थी। लैंसेट ने कहा है कि नए डेवलपमेंट के बाद हम प्राइमरी डेटा सोर्स की गारंटी नहीं ले सकते, इसलिए स्टडी वापस ले रहे हैं।

डब्ल्यूएचओ ने एचसीक्यू का ट्रायल रोका था
लैंसेट की स्टडी के आधार पर पिछले हफ्ते विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना के मरीजों पर एचसीक्यू का ट्रायल रोक दिया था। हालांकि, कुछ दिन बाद ही फिर से ट्रायल शुरू करने की परमिशन दे दी।

लैंसेट की स्टडी में क्या था?
22 मई को पब्लिश स्टडी में कहा गया था कि कोरोना के मरीजों को एचसीक्यू देने से उनको जान का जोखिम बढ़ सकता है। इस दवा के गंभीर साइड इफेक्ट हो सकते हैं। खासतौर से दिल की धड़कन असामान्य (एबनॉर्मल) हो सकती है। कोरोना के मरीजों को इस दवा से कोई फायदा नहीं होता। सैकड़ों अस्पतालों में भर्ती 96 हजार मरीजों के रिकॉर्ड के आधार पर ये दावा किया गया था।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने खुद हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन लेने की बात कह चुके
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन आमतौर पर आर्थराइटिस (गठिया) के मरीजों को दी जाती है, लेकिन भारत समेत कई देशों का मानना है कि ये दवा कोरोना से बचाव में भी मददगार है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले दिनों कहा था कि वे खुद हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ले रहे हैं। इसके बाद कई देशों ने इस दवा को थोक में खरीदना शुरू कर दिया था। ब्राजील का स्वास्थ्य मंत्रालय भी कोरोना के हल्के लक्षणों वाले मरीजों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और मलेरिया की दवा क्लोरोक्वीन देने की सिफारिश कर चुका है।



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