शिवराज का नरोत्तम के घर नाश्ता, बोले- मैं मुख्यमंत्री हूं, वे गृहमंत्री हैं, हम युवा मोर्चा के जमाने से साथ काम कर रहे; आज कोई चर्चा नहीं, नाश्ता ड्यू था, इसलिए आया

Posted By: Himmat Jaithwar
6/5/2020

भोपाल. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शुक्रवार को सुबह गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा के चार इमली स्थित निवास पर मुलाकात करने पहुंचे। यहां उन्होंने साथ में नाश्ता किया। अटकलें लगाई जा रही हैं कि दोनों के बीच आगामी विधानसभा उप चुनाव और राज्य सभा के चुनाव को लेकर चर्चा हुई। मिश्रा ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया। इसके बाद दोनों के बीच चर्चा भी हुई।

गृहमंत्री के बंगले से बाहर आने पर पत्रकारों से बातचीत में शिवराज ने कहा- "मैं मुख्यमंत्री हूं, वे गृहमंत्री हैं। सालों से युवा मोर्चा के जमाने से हम साथ काम करते आए हैं। नरोत्तमजी का बहुत दिनों से आग्रह था कि मैं घर पर आऊं। लंबे समय से नाश्ता ड्यू था, इसलिए आज आया हूं। यूं तो हम रोज मंत्रालय में मिलते ही हैं। मैं तो सुबह से लेकर देर रात तक वल्लभ भवन में ही रहता हूं।"

निसर्ग आ गया, जिससे थोड़ा गेहूं भीगा है, सूख जाएगा 
पत्रकारों से दूर से बातचीत करने का आग्रह करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे बीच मुलाकातें रोज होती हैं, चर्चा या प्लानिंग करनी होगी तो वह मंत्रालय में भी कर लेंगे, उनके घर आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बारिश में गेहूं भीगने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि गेहूं भीगा है तो सूख जाएगा। इन विपरीत परिस्थितियों में जब कोरोना फैला हुआ था, उस समय की सरकार ने इसकी चिंता नहीं की। वो सरकार, जिससे धान नहीं खरीदा गया।

हमने मध्य प्रदेश में रिकॉर्ड बनाया है खरीदी का। 1 करोड़ 26 लाख मीट्रिक टन की खरीदी गई है। जबकि उस सरकार ने खरीदी की कोई तैयारी नहीं की थी। ढंग से बारदानों का इंतजाम नहीं था। हमने 100 लाख मीट्रिक टन की व्यवस्था की और 126 लाख टन खरीद लिया। बीच में निसर्ग आ गया। मैंने कल भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की थी और आज भी सुबह से जानकारी ली थी। 94 फीसदी गेहूं सुरक्षित है, लेकिन जो गेहूं तौला जा रहा था, उसे ढंकने की कोशिश की, वो थोड़ा भीगा है, लेकिन सूख जाएगा। 

संकल्प लें कि पर्यावरण को बचाएंगे : शिवराज 
विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रदेश के भाईयों और बहनों से ये निवेदन करना चाहता हूं कि साल में एक पेड़ जरूर बनाएं। नदियों को स्वच्छ रखें। पानी बचाएं। प्रकृति का शोषण न करके दोहन करें। दोहन का मतलब जितना प्रकृति भरपाई कर ले, उतना निकाल लें। लेकिन अगर हमने, चाहे वह सरकारें हों या समाज। ज्यादा लालच के चक्कर में अंधाधुंध शोषण किया तो फिर धरती बचेगी नहीं। धरती की सतह का तापमान लगातार बढ़ रहा है। ये धरती केवल मनुष्यों की नहीं है, कीट पतंगों और अन्य जीव-जंतुओं के लिए है। इसलिए संकल्प लें कि पर्यावरण बचाएंगे।



Log In Your Account