हमारे कुछ साथी और विपक्ष षड्यंत्र कर रहा, बसपा विधायकों का विलय नियम अनुसार हुआ; विश्वास है आप सच्चाई के साथ खड़े रहेंगे

Posted By: Himmat Jaithwar
8/9/2020

राजस्थान में सियासी घमासान के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को सभी विधायकों के नाम पत्र लिखा। इसमें उन्होंने कोरोना का भी जिक्र किया। कहा- ऐसी परिस्थितियों में ही हमारे कुछ साथी और विपक्ष के नेता मिलकर लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई हमारी सरकार को अस्थिर करने के षड़यंत्र में लगे हैं। ये दुर्भाग्यपूर्ण है।

गहलोत ने लिखा कि 1993-96 में विधायकों की खरीद-फरोख्त कर भैरो सिंह शेखावत की सरकार को गिराने के प्रयास किए गए थे। उस समय मैने केंद्रीय राज्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के नाते तत्कालीन राज्यपाल बलिराम भगत और प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव से मिलकर विरोध किया था। चुनी हुई सरकार को गिराना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है और मैं इसे राजनैतिक महापाप की श्रेणी में मानता हूं। यहां के प्रदेशवासी कभी नहीं चाहेंगे कि राजस्थान में ऐसी परंपरा स्थापित हो। वर्तमान में पूरे प्रदेशवासियों में इस घटनाक्रम को लेकर और षड्यंत्र में शामिल जनप्रतिनिधियों के प्रति आक्रोश है।

बसपा के 6 विधायकों का विलय नियम के अनुसार हुआ
गहलोत ने आगे लिखा कि राजीव गांधी के समय 1984 में दल-बदल कानून लाया गया। बाद में अटल बिहारी वाजपेयी के समय यह प्रावधान किया गया कि किसी भी राजनीतिक दल के कम से कम दो तिहाई चुने हुए सदस्यों द्वारा नया दल बनाया जा सकता है अथवा दूसरे दल में विलय हो सकता है। राजस्थान के 6 बसपा विधायकों ने इस कानून के दायरे में रहकर राज्य में स्थिर सरकार और अपने-अपने क्षेत्र में विकास कार्यों में सुविधा के लिए कांग्रेस विधायक दल में विलय का निर्णय लिया।

आप जनता की बात सुनें, वादे पूरे करने में सहयोग दें
गहलोत ने लिखा कि चुनाव में हार-जीत होती रहती है। आप जनता की बात सुनें। विश्वास है आप सच्चाई के साथ खड़े रहेंगे। जनता का फैसला हमेशा सबसे ऊपर है। आप जनता से वादे पूरे करने में सहयोग दें। यही हमारी परंपरा रही है। इंदिराजी, राजीवजी, अटलजी जैसे नेता भी चुनाव हारे हैं। लेकिन उन्होंने लोकतांत्रिक परंपराओं और संवैधानिक मूल्यों को कभी कमजोर नहीं होने दिया।



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