न लॉकडाउन, न बाजार बंद, फिर भी दक्षिण कोरिया ने कोरोना को हरा दिया

Posted By: Himmat Jaithwar
3/25/2020

ये चीन का पड़ोसी देश है. वुहान जहां से कोरोना वायरस फैला, वहां से मात्र 1382 किलोमीटर दूर मौजूद है ये देश. लेकिन इस देश ने कोरोना वायरस को हरा दिया. उसे मात दे दी. इस देश के लोगों ने इसे हराने के कई तरीके भी अपनाए. जो कारगर रहे. जिस तरीके से इस देश ने कोरोना को हराने के लिए लड़ाई लड़ी है, उसे अब पूरी दुनिया में मॉडल माना जा रहा है.

इस देश का नाम है दक्षिण कोरिया. आज दक्षिण कोरिया कोरोना संक्रमित देशों की लिस्ट में 8वें नंबर पर है. अब तक यहां संक्रमण के 9137 मामले मिले हैं. 3500 से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं. 129 लोगों की मौत हुई है. जबकि सिर्फ 59 मरीज गंभीर हैं

पहले ऐसी स्थिति नहीं थी. 8-9 मार्च को 8000 संक्रमित लोगों के मामले सामने आए थे. लेकिन बीते दो दिनों में सिर्फ 12 मामले मिले हैं. चौंकाने वाली बात है कि पहला मामला मिलने से आज तक यहां न लॉकडाउन हुआ और न ही बाजार बंद हुए

द. कोरिया के विदेश मंत्री कांग युंग वा ने बताया कि जल्द टेस्ट और बेहतर इलाज से ही कोरोना वायरस के मामले कम हुए हैं. इसलिए मौतें भी कम हुईं. हमने 600 से ज्यादा टेस्टिंग सेंटर खोले. 50 से ज्यादा ड्राइविंग स्टेशनों पर स्क्रीनिंग की.

कांग युंग वा ने बताया कि रिमोट टेम्परेचर स्कैनर और गले की खराबी जांची, जिसमें महज 10 मिनट लगे. एक घंटे के अंदर रिपोर्ट मिले, इसकी व्यवस्था की गई थी. हमने हर जगह पारदर्शी फोनबूथ को टेस्टिंग सेंटर में तब्दील किया.

द. कोरिया में संक्रमण जांचने के लिए सरकार ने बड़ी इमारतों, होटलों, पार्किंग और सार्वजनिक स्थानों पर थर्मल इमेजिंग कैमरे लगाए, जिससे बुखार पीड़ित व्यक्ति की तुरंत पहचान हो सके.

होटलों और रेस्टोरेंट भी बुखार जांचने के बाद कस्टमर को अंदर जाने की अनुमति देते थे. द. कोरिया के विशेषज्ञों ने लोगों को संक्रमण से बचने के लिए हाथों के इस्तेमाल का तरीका भी सिखाया.

यह तरीका बेहद नया था. इसमें अगर व्यक्ति दाएं हाथ से काम करता है, तो उसे मोबाइल चलाने, दरवाजे का हैंडल पकड़ने और हर छोटे-बड़े काम में बाएं हाथ का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई.

ठीक, इसी तरह बाएं हाथ से ज्यादातर काम करने वालों को दाएं हाथ के इस्तेमाल के लिए कहा गया. ऐसा इसलिए क्योंकि व्यक्ति जिस हाथ का ज्यादा इस्तेमाल रोजमर्रा के कामों के लिए करता है, वही हाथ सबसे पहले चेहरे पर भी जाता है. यह तकनीक बेहद कारगर रही.



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