मास्क, गॉगल्स और विशेष सूट के बावजूद डॉक्टर्स वायरस से बच नहीं पाए, यहां युवाओं को भी वेंटिलेटर्स की जरूरत पड़ रही

Posted By: Himmat Jaithwar
4/4/2020

मिलान. मिसेज एम मिलान में रहती हैं। उम्र 70 साल है और वे कोरोना पॉजिटिव हैं। इलाज के बावजूद जब उनकी हालत में सुधार नहीं आया तो डॉक्टर ने उनकी बेटी को कॉल कर उनकी खराब तबीयत की जानकारी दी। बेटी ने दूसरी तरफ से जवाब दिया- पापा भी कोरोना पॉजिटिव हैं और उनका इलाज शहर के दूसरे हॉस्पिटल में चल रहा है। पति-पत्नी एक-दूसरे से बहुत दूर एक महामारी से लड़ रहे हैं और बेटी भी उन्हें देख नहीं पा रही है। यह महज एक घर की कहानी है, लेकिन ऐसी कहानी इन दिनों इटली के कई घरों में देखी जा रही है। मिलान में इमरजेंसी मेडिसिन स्पेशलिस्ट फेडरिका (34) ऐसे कई किस्सों की गवाह हैं।

इटली में जब यह महामारी अपने शुरुआती दौर में थी, तभी से फेडरिका अपने हॉस्पिटल के इमरजेंसी रूम में कोरोना पॉजिटिव लोगों का इलाज कर रही हैं। फिलहाल घर पर क्वारैंटाइन पीरियड बीता रही हैं, क्योंकि कोरोना संक्रमितों के बीच रहते-रहते सभी सावधानियां बरतने के बावजूद वे भी संक्रमित हो गईं। वे बीते कुछ दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि, “शुरुआत में इटली के लोडी और कोडोग्नो शहर इस महामारी की चपेट में आए थे। इन शहरों के हालात से हम बहुत कुछ सीख चुके थे। हमें यह पता था कि यह जल्द ही हमारी ओर भी रूख करेगा और फिर ठीक एक सुनामी की तरह इसकी पहली लहर हम तक पहुंच गई।”

हॉस्पिटल के इमरजेंसी रूम को दो हिस्सो में बांट दिया गया- एक बड़ा हिस्सा कोरोना के मरीजों का, दूसरा हिस्सा अन्य मरीजों के लिए था
फेडरिका कहती हैं, “कोरोना के फैलाव को देखते हुए हमारे हॉस्पिटल के इमरजेंसी रूम को दो हिस्सों में बांट दिया गया था- एक बड़े हिस्से में वे लोग होते थे, जिनमें कोरोनोवायरस के लक्षण मिल रहे थे और दूसरी तरफ एक छोटा हिस्सा, जहां अन्य मरीजों को रखा जाने लगा। धीरे-धीरे मरीजों की संख्या बढ़ने लगी। कारण एक जैसे थे- खांसी, बुखार और सांस लेने में तकलीफ। हमारी तैयारी बहुत अच्छी थी, लेकिन इसके बावजूद हर दिन हॉस्पिटल में भीड़ बढ़ती जा रही थी। हमारे पास जगह कम पड़ने लगी। हॉस्पिटल के अन्य डिपार्टमेंट्स में हर दिन थोड़ी-थोड़ी जगह बनाई जाने लगी।”

इटली के ब्रेसिया शहर के स्पेडाली सिविल हॉस्पिटल में मरीज की मदद करते एक डॉक्टर।

फेडरिका बताती हैं, “मामले बढ़ते गए और इमरजेंसी रूम में शिफ्ट में वर्किंग शुरू हो गई। एक-एक शख्स 12 से 13 घंटे काम कर रहा था। इमरजेंसी रूम में घुसने से पहले उन्हें मास्क और विशेष तरह के गॉगल्स दिए जाते। मास्क तो इमरजेंसी रूम से बाहर आते ही डिस्पोज कर दिए जाते, लेकिन गॉगल्स को हमेशा साथ ही रखना होता था।”

कुछ मरीज गुस्सा करते, कुछ रोते रहते और हम उन्हें थोड़ी राहत देने की कोशिश करते रहते
फेडरिका बताती हैं कि, “बूढ़े, वयस्क, युवा और बच्चे सभी इसकी जद में हैं। सभी के लक्षण एक जैसे होते हैं। कई मरीज गंभीर होते हैं, इनमें से कुछ को यह भी पता नहीं होता है कि वे कम ऑक्सीजन ले पा रहे हैं। सभी बहुत डरे हुए होते हैं। वे जानते हैं कि इस वक्त बीमार होना बहुत बड़ा जोखिम है, खासकर अगर वे बूढे हैं तो डर और बढ़ जाता है। जब आप उनसे बात करते हैं, तो कुछ रोने लगते हैं, कुछ बहुत गुस्सा भी करते हैं। मेरी एक ही कोशिश रही कि मैं उन लोगों को कुछ राहत दे सकूं। मैं उन्हें बताती थी कि सबसे अच्छी बात यह है कि आप इस समय हॉस्पिटल में हैं और आपके पास सांस लेने के लिए ऑक्सीजन सपोर्टर है।”

जो कोरोना पॉजिटिव युवा मजबूत और स्वस्थ थे, कुछ दिनों बाद उन्हें भी वेंटिलेटर्स की जरूरत पड़ने लगी
मार्च के पहले हफ्ते में ही फेडरिका ने 34 साल के एक भारतीय मरीज को हॉस्पिटल में देखा था। वे बताती हैं कि, "वह कोरोना पॉजिटिव था, बुखार भी तेज था। उसे हॉस्पिटल में भर्ती किया गया, लेकिन उसकी हालत ज्यादा खराब नहीं थी। उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। 3 दिन बाद मैंने उसे फिर से इमरजेंसी रूम में ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ देखा। मैं यही सोच रही थी कि वह मेरी उम्र का ही है, लगभग ठीक हो चुका था, फिर वह इतनी बुरी हालत में कैसे पहुंच गया?”

इटली में मार्च के तीसरे हफ्ते में आई एक रिपोर्ट में बताया गया था कि कोरोनावायरस से हुई 3200 मौतों में से महज 36 ऐसे थे जो 50 से कम उम्र के थे। हालांकि यहां बड़ी संख्या में युवा और बच्चे कोरोना संक्रमित हैं।

हालत यह थी कि युवाओं में भी यह वायरस तेजी से फैल रहा था। एक और उदाहरण देते हुए फेडरिका कहती हैं, “एक 18 साल का लड़का था। वह बहुत मजबूत और स्वस्थ था। उसे कई दिनों से बुखार था और फिर उसे अचानक इमरजेंसी रूम में भर्ती किया गया। इलाज के बावजूद वह ठीक नहीं हो रहा था। वह कहता था कि वह डर नहीं रहा, वह ठीक-ठाक महसूस कर रहा है, लेकिन यह कहते-कहते भी वह तेजी से सांस लेने लगता था। आखिर में उसे भी इंट्यूबेटेड कर ऑक्सीजन पहुंचाना पड़ा।

19 मार्च को डॉ. फेडरिका कोरोना पॉजिटिव पाईं गईं, पति भी संक्रमित हो गए
फेडरिका के पति मार्को एक फोटोग्राफर हैं। 19 मार्च को इनकी जिंदगी में भी कोरोनावायरस की एंट्री हो गई। पहला लक्षण मिलते ही जब फेडरिका का टेस्ट हुआ तो नतीजा खून जमा देने वाला था। वे कोरोना पॉजिटिव पाईं गईं। उसी दिन उनके पति में भी इस बीमारी के कुछ लक्षण दिखे। वे कहती हैं, "मैंने उन्हें संक्रमित किया। मैं बहुत डरी हुई थी। उन दिनों का तनाव में बयां नहीं कर सकती। अभी हम क्वारैंटाइन में हैं। चीजें अब ठीक होने लगी हैं। जैसे ही क्वारेंटाइन पीरियड खत्म होगा, वैसे ही मैं फिर से काम पर लौट जाऊंगी।”

पाउला, 32 साल से मेडिकल प्रोफेशन में हैं, सतर्कता बरतने के बावजूद कोरोना से संक्रमित हो गईं
फेडिरका की तरह ही पाउला (50) भी जल्द ही काम पर लौटेंगी। पाउला की शादी को 25 साल हो चुके हैं। उनके 2 बच्चे हैं और 32 साल से वे मिलान शहर के नजदीक सरनुस्को सुल नेवीग्लियो हॉस्पिटल में हेल्थकेयर प्रोफेशनल हैं। जब उनके हॉस्पिटल में पहले कोरोना संदिग्ध की बात सामने आई तो उनका भी टेस्ट किया गया। 2 दिनों बाद उन्हें कॉल पर बताया गया कि वे कोरोना पॉजिटिव हैं। पाउला कहती हैं, "मैं खुद के लिए और अपने परिवार के लिए बहुत डरी हुई थीं। हर पल खुद को शांत करने की कोशिश करती रहती।”

पिछले चार हफ्तों से इटली पूरी तरह लॉकडाउन है।

पाउला के संक्रमित होते ही उन्हें फौरन उनके परिवार से अलग किया गया। बहुत जरूरी होने पर ही वे कमरे से बाहर निकलती हैं और इसके बाद वे जिस भी चीज को हाथ लगाती उसे तुरंत डिसइन्फेक्टेड किया जाता है। पाउला कहती हैं, "मैं कुछ ही बार अपने कमरे से बाहर निकली हूं और जब भी निकली हूं तो मास्क लगाकर। जब भी मेरी बेटियां मेरे लिए खाना लाती हैं, तब भी मैं मास्क लगाकर ही दरवाजे खोलती हूं।"

क्वारैंटाइन पीरियड के बाद फिर से काम पर लौटने का एक डर अभी से सता रहा है
पाउला की बेटी कियारा (23) लॉ स्टूडेंट हैं। वे बताती हैं कि,"जब हमें पता चला कि ममी कोरोना पॉजिटिव हैं तो सभी डरे हुए थे। पर क्योंकि वे लम्बे समय से हॉस्पिटल में काम कर रही हैं तो अन्य के मुकाबले वे बेहतर तरीके से इसे मैनेज कर रही हैं।" पाउला कहती हैं, "मैं काम पर फिर से जाने को लेकर थोड़ी डर रही हूं। डर यह है कि फिर से बीमार लोगों के संपर्क में आ गई तो क्या होगा। कहीं मैं कोरोनावायरस को अपने घर में न ले आऊं। लेकिन हां, जब भी जरूरत पड़ी, मैं काम के लिए जाने के लिए तैयार हूं।"

33 साल के प्लास्टिक सर्जन एंड्रिया कोरोना के विशेषज्ञ नहीं, लेकिन लोगों की मदद के लिए खुद आगे आए
इस महामारी से निपटने के लिए कई लोग खुद आगे आ रहे हैं। 33 साल के प्लास्टिक सर्जन एंड्रिया की कहानी इसका एक उदाहरण है। कोरोनावायरस का ग्राफ जब बढ़ने लगा तो उन्होंने अपने निजी स्टूडियो को बंद कर लोगों की मदद करने के तरीके खोजने शुरू किए। वे कहते हैं, "मुझमें इस महामारी से निपटने के लिए विशेष योग्यता नहीं है। लेकिन क्योंकि मैं एक डॉक्टर हूं तो मैं चाहता हूं कि इस समय में लोगों की मदद कर सकूं।” उन्होंने बरगामो में अपने एक साथी डॉक्टर से इस पर बात की। इटली में बरगामो उन शहरों में से एक है जो इस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है।

डेटा से पता चलता है- पुरुषों के मुकाबले महिलाएं इस महामारी से कम प्रभावित रही हैं
एंड्रिया बताते हैं, "मुझे मरीजों का डेटा इकट्ठा करने और स्टडी करने का काम मिला। और अब जब मैं यह कर रहा हूं तो कई सवाल सामने आए हैं। जैसे- यह पता नहीं चल पा रहा है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं और बच्चे इस महामारी से कम प्रभावित कैसे हैं? पुरुषों के मामले में यह वायरस इतना तेजी से प्रभावित करता है कि कुछ ही दिनों में शख्स की मौत हो जाती है।"

एंड्रिया (33) प्लास्टिक सर्जन हैं। इन दिनों वे कोरोना संक्रमित मरीजों के डेटा पर स्टडी कर रहे हैं।

एंड्रिया अपना बहुत सारा समय फेसबुक पर भी बिताते हैं। उन्होंने एक पेज बनाया है, जहां पूरे इटली के डॉक्टर्स इस महामारी से जुड़े जरूरी फैक्ट्स और जानकारियां साझा करते हैं ताकि इससे निपटने में कुछ मदद मिल सके। एंड्रिया बताते हैं, "मैं रात के 4 बजे तक कोरोनावायरस को ठीक से समझ पाने के लिए डॉक्टरों की कमेंट पढ़ते रहता हूं। यहां कई साथी हैं, जो मदद के लिए लगातार आगे आ रहे हैं। हॉस्पिटलों में बहुत ज्यादा डर है, लेकिन इन सब के बीच एक सकारात्मक वातावरण में काम करना बहुत जरूरी है।"

हॉस्पिटलों में बाकी इलाज के लिए भी तरीके बदल गए हैं
कोरोनावायरस के कारण बाकी इलाज में भी तरीके बदल गए हैं। जैसे- प्रसव के दौरान होने वाले ऑपरेशन। मिकोल (35) दो बच्चों की मां हैं और फिलहाल प्रेग्नेंट हैं। वे कहती हैं, "एक साथ लोग इकट्ठे नहीं हो सकते। ऐसे में महिलाएं गर्भ के दौरान सावधानियां और सतर्कता बरतने की क्लासेस अटेंड नहीं कर पा रही हैं। जो पहली बार प्रेग्नेंट हैं, उनके लिये यह थोड़ा परेशानीभरा है।" 

मिकोल (35) का रेग्युलर चेक-अप बंद है, लेकिन जरूरत पड़ने पर हॉस्पिटल में एक खास प्रक्रिया से गुजरने के बाद उनका इलाज किया जाता है। 

वे बताती हैं कि "रेग्युलर चेक-अप बंद हैं। हॉस्पिटल में घुसने से पहले आपको एक डॉक्यूमेंट पर हस्ताक्षर करना होता है कि आप पिछले 15 दिनों से किसी कोरोनावायरस संक्रमित के संपर्क में नहीं आए हैं और आपमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं हैं। जब आप बच्चे को जन्म देने वाली होती हैं तो सिर्फ पति ही आपके साथ हॉस्पिटल आ सकते हैं, वो भी तब जब वह पूरी तरह ठीक हों। अगर आपको थोड़ी भी सर्दी-खासी हो तो आपको प्रसव के दौरान ही हॉस्पिटल में एडमिट किया जाएगा। लेकिन अगर आपको सांस लेने में भी थोड़ी समस्या आ रही है और कोरोना के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो ऐसी महिलाओं को अलग वार्ड में भेजा जाता है। हाल ही के दिनों में कोरोना संक्रमित कई महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया है। किस्मत से वे सभी स्वस्थ हैं।"



Log In Your Account