ज्यादातर उम्मीदवार इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वाले, किसी ने नौकरी छोड़ी, किसी ने कैंपस सिलेक्शन

Posted By: Himmat Jaithwar
8/5/2020

देश की सबसे प्रतिष्ठित नौकरियों आईएएस, आईएफएस और आईपीएस के लिए यूपीएससी की चयन परीक्षा में मप्र से 19 उम्मीदवारों ने सफलता हासिल की है। इनमें से ज्यादातर इंजीनियरिंग ग्रेजुएट और आईआईटियन हैं। ज्यादातर उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्होंने मल्टीनेशनल कंपनियों में बड़े पैकेज की नौकरियां छोड़कर यूपीएससी की राह पकड़ी है।

तीसरे अटैम्प्ट में प्री में भी फेल हो गए थे

  • नाम: अभिनव चौधरी
  • पिता : राजेश चौधरी
  • शहर: गरोठ, मंदसौर
  • रैंक : 238

पांचवां अटैम्प्ट था। 2012 में भोपाल से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की। इसके बाद पुणे में एक साल नौकरी भी की। 2014 में नौकरी छोड़ तैयारी के लिए दिल्ली गए। पहले दो अटेम्प में मैन्स पास नहीं कर पाए। तीसरे अटैम्प्ट में प्री में भी फेल हुए। चौथे में इंटरव्यू तक पहुंचे और 2019 के आखिर प्रयास में सफल हुए। पिता व्यवसायी हैं और नगर परिषद के अध्यक्ष रह चुके हैं।

बगैर कोचिंग सेल्फ स्टडी कर एग्जाम दिया

  • नाम: वैभव त्रिवेदी
  • पिता : भगवानदास
  • शहर: छतरपुर
  • रैंक : 327

यह दूसरा अटैम्पट है। 2018 में सिर्फ 7 अंक से चूक गए थे। दिल्ली में रहकर ही तैयारी कर रहे थे। बीएचयू-आईआईटी से 2015 में एमटैक पासआउट हैं। एमएनसी में नौकरी कर चुके हैं। सिविल सर्विसेज के लिए 2017 में नौकरी छोड़ दी। बगैर कोचिंग सेल्फ स्टडी कर एक्जाम दिया। पिता स्कूल प्राचार्य और मां वकील हैं। वैभव कहते हैं कि आईएएस नहीं मिलता है तो दोबारा एक्जाम देंगे। बुंदेलखंड में बेरोजगारी खत्म करना चाहते हैं।

पिता का निधन, मां मेडिकल स्टोर पर करती हैं काम

  • नाम: मयंक गुर्जर
  • पिता : गोविंद गुर्जर
  • शहर: हरदा
  • रैंक : 455

फर्स्ट अटैम्प्ट में सफलता मिली है। केमिकल इंजीनियर हैं। खिरकिया के डेडगांव के निवासी है। मुंबई आईआईटी से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद तैयारी शुरू की। पिता की 6 साल पहले असमय मौत हो चुकी है। परिवार की खराब माली हालत के बीच पढ़ाई जारी रखने के लिए मां प्रेमलता गुर्जर ने इंदौर में मेडिकल स्टोर पर रिसेप्शनिस्ट का काम करती थी।

सेल्फ स्टडी की और स्वयं के नोट्स तैयार किए

  • नाम: विनायक चामड़िया
  • पिता : संदीप चामड़िया
  • शहर: सतना
  • रैंक : 322

फर्स्ट अटैम्प्ट है। एलएंडटी का कैंपस सिलेक्शन ठुकराकर दिल्ली जाकर सिविल सर्विसेज की तैयारी की। इंजीनियर होने के बावजूद समाजशास्त्र को अपना विषय बनाया। दिन में 8 से 10 घंटे तक सेल्फ स्टडी की और स्वयं के नोट्स तैयार किए। सिर्फ 24 वर्ष के हैं। पिता शुगर मर्चेन्ट एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष हैं। एनआईटी कुरुक्षेत्र से 2018 में सिविल इंजीनियरिंग में पासआउट हैं।

दूसरे प्रयास में आईएएस बनने एक बार फिर कोशिश करेंगे

  • नाम: आशीष सिंह
  • पिता : बीएन सिंह
  • शहर: सतना
  • रैंक : 490

दूसरा अटैम्प्ट था। आईएएस नहीं मिला तो फिर से प्रयास करेंगे। 2017 में आईआईटी दिल्ली से टेक्सटाइल इंजीनियरिंग में पासआउट हैं। सिविल सर्विसेज के लिए कैंपस सिलेक्शन ठुकरा चुके हैं। आशीष की मां गृहिणी हैं। तैयारी के उन्होंने रोज छह घंटे पढ़ाई की। उनका कहना है कि मन लगाकर स्टडी की जरूरत है। ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस करना चाहिए। पिता रेलवे में अधीक्षक हैं। सेंट्रल स्कूल से पढ़े हैं।

18 लाख की नौकरी छोड़ी पहले प्रयास में सफलता

  • नाम: प्रखर सिंह
  • पिता : विजय सिंह
  • शहर: दमोह
  • रैंक : 224
  • फर्स्ट अटैम्प्ट में ही सफलता मिली। पिता पीआईयू में अधीक्षण यंत्री हैं। आईआईटी खड़गपुर से बीटेक हैं। कैंपस सिलेक्शन के बाद मुंबई के जेपी मार्गन में नौकरी की। 2018 में नौकरी छोड़ यूपीएससी की तैयारी शुरू की। जेपी मार्गन में उनका 18 लाख रुपए का पैकेज था। दो साल यहां नौकरी की। यूपीएससी में टॉप विद्यार्थियों के नोट्स से तैयारी की। दिल्ली में इंटरव्यू के लिए क्लास ज्वॉइन की।

नाम: आयुशी जैन पिता : सुनील जैन शहर: सिंरोंज, विदिशा

रैंक : 41

नाम: अहिंसा जैन पिता : सुभाष चंद जैन शहर: जबलपुर

रैंक : 164

नाम: अंकित कुमार जैन पिता : कमलेश जैन शहर: विदिशा

रैंक : 269

नाम: शुभम बजाज पिता : डॉ. सुनील बजाज शहर: विदिशा

रैंक : 280

नाम: संदीप पटेल पिता : दीपनारायण शहर: दमोह, हटा

रैंक : 464

नाम: मनोज कुमार शाह पिता : आरएल शाह शहर: सिंगरौली

रैंक : 531



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